About maha kali siddha kavach

ह्रां ह्रीं कालीकायै मदीय शत्रून् समर्पयामि स्वाहा ।

ॐ क्रीं कालिकायै स्वाहा मम नाभिं सदाऽवतु ।

मेरे पास ऐसे बहुत से लोगों के फोन और मेल आते हैं जो एक क्षण में ही अपने दुखों, कष्टों का त्राण करने के लिए साधना सम्पन्न करना चाहते हैं। उनका उद्देष्य देवता या देवी की उपासना नहीं, उनकी प्रसन्नता नहीं बल्कि उनका एक मात्र उद्देष्य अपनी समस्या से विमुक्त होना होता है। वे लोग नहीं जानते कि जो कष्ट वे उठा रहे हैं, वे अपने पूर्व जन्मों में किये गये पापों के फलस्वरूप उठा रहे हैं। वे लोग अपनी कुण्डली में स्थित ग्रहों को देाष देते हैं, जो कि बिल्कुल गलत परम्परा है। भगवान शिव ने सभी ग्रहों को यह अधिकार दिया है कि वे जातक को इस जीवन में ऐसा निखार दें कि उसके साथ पूर्वजन्मों का कोई भी दोष न रह जाए। इसका लाभ यह होगा कि यदि जातक के साथ कर्मबन्धन शेष नहीं है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। लेकिन हम इस दण्ड को दण्ड न मानकर ग्रहों का दोष मानते हैं।व्यहार में यह भी आया है कि जो जितनी अधिक साधना, पूजा-पाठ या उपासना करता है, वह व्यक्ति ज्यादा परेशान रहता है। उसका कारण यह है कि जब हम कोई भी उपासना या साधना करना आरम्भ करते हैं तो सम्बन्धित देवी – देवता यह चाहता है कि हम मंत्र जप के द्वारा या अन्य किसी भी मार्ग से बिल्कुल ऐसे साफ-सुुथरे हो जाएं कि हमारे साथ कर्मबन्धन का कोई भी भाग शेष न रह जाए।

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इत्येतत् कवचं दिव्यं कथितं शम्भुना पुरा ।

Chakra - Sahashara Chakra is well balanced by worshipping this . Chakra is seven centers of religious Vitality inside the human entire body. Chakras tend to be the round vortexes of ability which have been positioned in 7 diverse details to the spinal column, and the many 7 chakras are linked to the various organs and glands within the physique. These chakras are responsible for disturbing life energy.

मुण्डमाला वृतांगी च सर्वतः पातु माँ सदा,

सह्रस्त्रपठनात् सिद्धि: कवचस्य भवेत्तदा ।

निर्भयां रक्तवदनां दंष्ट्रालीघोररूपिणीं।

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क्रीं कालिकायै स्वाहा मम नाभिं सदावतु॥

सर्व दुःख प्रशमनं सर्व पाप प्रणाशनम् ॥

ध्यात्वा कालीं महामाया त्रिनेत्रां बहुरूपिणीम्,

क्रींमे गुह्नं सदा पातु कालिकायै नमस्ततः ।

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